Thursday, September 11, 2014

आज दिल की कलम से … 

तुम्हारी याद के जब ज़ख्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
हर अजनबी हमें महरम (जानने वाला ) दिखाई देता है
जो अब भी तेरी गली से गुजरने लगते हैं।
                                         - फैज़ अहमद फैज़ 

No comments:

Post a Comment