Saturday, April 18, 2020

फ़िल्म "गीता गोविंद" की समीक्षा

फ़िल्म "गीता गोविंद" की समीक्षा

मिशन #Sensiblecinema के तहत आज (18/04/2020) परशुराम निर्देशित "गीता गोविंद" फिल्म देखी जो कि एक रोमांटिक कॉमेडी स्टोरी है जिसमें मुख्य किरदार निभाया है विजय देवेरकोंडा और रश्मिका मङन्ना ने। ये जोड़ी "डियर कॉमरेड" सहित कई फ़िल्मों में एक साथ नज़र आयी है। रश्मिका और विजय की केमिस्ट्री लाजवाब है। विजय रोमांटिक किरदार में जंचते है। 
फ़िल्म की कहानी कुछ इस कदर है कि विजय एक लेक्चरार है और उसे गीता से मंदिर में पहली नज़र में प्यार हो जाता है। इतेफाक से जिस बस में वो अपने गांव जा रहा होता है उसी बस में गीता भी सवार होती है और उसकी सीट भी विजय के बगल वाली ही होती है। विजय की खुशी का ठिकाना नहीं होता पर बस में सोयी हुई गीता के साथ सेल्फी लेने के चक्कर में विजय के साथ जो होता है उसकी वजह से उसे बस से बीच रास्ते में ही कूदना पड़ता है। बस में विजय से हुई उस गैर इरादतन गलती की वजह से गीता उसे आवारा लड़का समझती है और रोते हुए सारी घटना अपने भाई को बताती है। उसका भाई पागलों की तरह उसकी तलाश करता है। इतेफाक़ तो देखिए विजय की बहन से ही गीता के भाई की शादी तय होती है। गीता को अपने घर देखकर विजय के होश उड़ जाते हैं। लगभग आधी फ़िल्म में विजय गीता से गुज़ारिश करता रहता है कि वो अपने भाई को ना बताए की बस वाला लड़का वो ही है। वो लड़की जो विजय को एक नम्बर का आवारा लड़का समझती है, उसकी सोच विजय को लेकर कैसे बदलती है, क्या गीता को भी विजय से मोहब्बत हो जाती है, उनकी ज़िंदगी में क्या ट्विस्ट आता है, जिस लड़की से शादी करने के विजय दिन रात सपने देखा करता है आखिर वो उसी से शादी करने से इंकार क्यूं कर देता है जानने के लिए आप यूट्यूब पर ये फ़िल्म हिंदी डब वर्ज़न में देख सकते हैं।
इस फ़िल्म की कहानी बहुत ही साधारण है, कहानी के किरदार अपने आसपास के ही जान पड़ते हैं। सिचुएशनल कॉमेडी अच्छा खासा गुदगुदाती है। विजय का बार बार गीता को मैडम मैडम बोलना आपको लंबे समय तक याद रह जाएगा।

No comments:

Post a Comment