Tuesday, June 22, 2010

क्यूँ देखती हैं आँखें वो सपना

क्यूँ देखती हैं आँखें वो सपना
जिसे कभी नहीं होना अपना
क्यूँ कांच की तरह टूट जाते हैं खाब
दो ना इसका जवाब
क्यूँ आ जाते हैं अश्क बिन बुलाये
अरे कोई तो हमें समझाए
क्यूँ कोई एक आस पे जिंदा रहता है
उस उम्मीद की खातिर दर्द वो सारे सहता है
मेरे भीतर है इस क्यूँ की टीस
जवाब मिले तो मुझे भी देना प्लीज़

भावना

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