क्यूँ देखती हैं आँखें वो सपना
जिसे कभी नहीं होना अपना
क्यूँ कांच की तरह टूट जाते हैं खाब
दो ना इसका जवाब
क्यूँ आ जाते हैं अश्क बिन बुलाये
अरे कोई तो हमें समझाए
क्यूँ कोई एक आस पे जिंदा रहता है
उस उम्मीद की खातिर दर्द वो सारे सहता है
मेरे भीतर है इस क्यूँ की टीस
जवाब मिले तो मुझे भी देना प्लीज़
भावना
bahut hi shandar blog....welcome...
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