Monday, April 27, 2015

मित्रो,
      शनिववार को नेपाल में भूकम्प से हुई भीषण तबाही की तस्वीरें दिल दहलाने वाली हैं।वहां लोग भारी कष्ट और दहशत में जी रहे हैं।खूबसूरत काठमांडू मलबे के ढ़ेर में तब्दील हो गया है।यह सब कुछ देखते ही देखते हो गया,तमाम लोग तो घरों से बाहर भी नहीं निकल पाये।कितनी बेबसी, कितनी लाचारी थी,कुछ भी करने की कोई गुंजाइश ही कहां। वर्षों पहले भूकम्प के कारण हिंद महासागर से उठी सुनामी से हुई तबाही और अब नेपाल में आये इस विनाशकारी भूकम्प जिससे भारत में भी कई राज्य प्रभावित हुए हैं, ने एक बार फिर याद दिला दिया है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना बौना है। इंसान भले ही दूसरे ग्रह में मानव बस्तियां बसाने की तैैैयारियां कर रहा हो, धधकते, आग उगलते ज्वालामुखी के अंदर उतर कर अध्ययन करने में सक्षम हो गया हो, विज्ञान,टेक्नालाजी के सहारे चमत्कार जैसे दिखने वाले न जाने क्या क्या करतब करने लगा हो फिर भी उसका सारा ज्ञान विज्ञान अभी भी बहुत नाकाफी है। इंसान अभी भी पृथ्वी के मीलों अंदर चलने वाली हलचलों का पता लगा कर भूकम्प आने के थोड़ा पहले भी उसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाया है। अन्यथा भूकम्प से होने वाली जनहानि को काफी हद तक रोका जा सकता है। अभी तो हमारे हाथ में आपदा के बाद राहत, बचाव के कार्य करना ही है।
          यह अच्छी खबर है कि भारत ने इस संकट की घड़ी मे नेपाल के भूकम्प पीड़ितों के लिये शीघ्र सहायता भेजी है। दुआ है कि अपने देश एवं नेपाल के सभी भूकम्प पीड़ितों को इस आघात से उबरने का हौसला मिले। 

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