लगातार बारिश हो रही है। बादल एक के पीछे एक कतार बना
कर ऐसे आ रहे हैं जैसे गणतंत्र दिवस की लंबी परेड चल रही हो। ऐसे में सिवाय घर में
कैद होने के और चारा भी क्या है। इसी संदर्भ में हैं ये चंद लाइनें
भीगी खबरें मिल रहीं क्या तगड़ी बरसात
डर से सूरज जा छिपा बादल के उत्पात
बंद मार्निंग वाक है होता ना दीदार
बारिश के उस पार वे फंसे हैं हम इस पार
पानी पानी हो गया शहर दुखी सब लोग
उफनाये नाले नदी और बरसाती रोग
घर में घुस ललकारता पानी बारम्बार
नगरनिगम सोता रहा जनता रही पुकार
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