जी
हां बड़ी आफत बन गया है यह छोटा सा ब्रेक। टी वी न्यूज चैनलों पर चाहे जितनी
गम्भीर चर्चा क्यों न चल रही हो, वक्ता अपना वाक्य पूरा कर भी न पाया हो, अचानक
बीच बहस यह कूद पड़ता है और शुरू कर देता है विज्ञापनों की झड़ी। बैठे रहिये तब तक
आप मन मारे। इसी संदर्भ में हैं ये चंद लाइनें
छोटा
सा ब्रेक कर रहा भारी अत्याचार
श्रोता
वक्ता ऐंकर सभी दिखें लाचार
आधी
अंदर रह गई बाहर आधी बात
तभी
पीठ पर पड़ी आ ब्रेक की जमकर लात
डूबे
थे हम बहस में चर्चा अति गंभीर
तभी
कलेजे आ धंसे विज्ञापर के तीर
घर
घर घुस घुस मारता विज्ञापन के बांण
सीना
छलनी होगया पाएं कैसे त्रांण
ब्रेक
जरूरी कहें वे है मंहगा यह खेल
बिना
ब्रेक के मीडिया हो जायेगा फेल
ब्रेक
के पीछे खड़ा है ताकतवर बाजार
लगा
ठहाका जोर का रहा हमें ललकार
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