महिला दिवस ,पर्यावरण दिवस आदि दिवसों की तरह खेल दिवस भी आया और चला गया। हर वर्ष की तरह रस्में पूरी की गईं पर अभी भी इस मानसिकता में ज्यादा बदलाव नहीं आया है -पढ़ोगे लिखोगे होगे नवाब ,खेलोगे कूदोगे होगे खराब।यह भी देखिये कि नीचे स्तर पर खेल तक कितनों की पहुंच हो पाती है। चलिए चंद दोहों में अपनी बात कहने की कोशिश करता हूँ
१
खेलों में इस कदर है राजनीति की पैठ
मार कुंडली पदों पर नेता गए हैं बैठ
२
खेल दिवस से खेल का कितना होगा मान
खेल संघ जब कर रहे खेलों का अपमान
३
बाकी दिवसों सा हुआ खेल दिवस भी आज
खेलों की जो दशा है कहते आती लाज
bhonpooo.blogspot.in
१
खेलों में इस कदर है राजनीति की पैठ
मार कुंडली पदों पर नेता गए हैं बैठ
२
खेल दिवस से खेल का कितना होगा मान
खेल संघ जब कर रहे खेलों का अपमान
३
बाकी दिवसों सा हुआ खेल दिवस भी आज
खेलों की जो दशा है कहते आती लाज
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