बांधों ,खदानों ,बड़ी बड़ी परियोजनाओं से बहुत बड़े पैमाने पर होने वाले विस्थापन एवं पर्यावरणीय नुकसान को हमेशा जनहित ,देशहित के नाम पर जायज ठहराया जाता रहा है। जबकी कोयला खदान आबंटन घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि खदान आबंटित करते समय सरकारों ने जनहित और सार्वजनिक उद्देश्य की खुलेआम अनदेखी की है। इस पर प्रस्तुत हैं चंद दोहे
१
संसाधन को लूटते ले जनहित का नाम
कोल आबंटन धांधली है इसका परिणाम
२
कालिख मुंह ऐसी पुती भेद न कछू लखाय
पंजा भी काला हुआ काला कमल दिखाय
३
संसाधन पर देश के सबका है अधिकार
न्यायपूर्ण वितरण करे जो भी हो सरकार
१
संसाधन को लूटते ले जनहित का नाम
कोल आबंटन धांधली है इसका परिणाम
२
कालिख मुंह ऐसी पुती भेद न कछू लखाय
पंजा भी काला हुआ काला कमल दिखाय
३
संसाधन पर देश के सबका है अधिकार
न्यायपूर्ण वितरण करे जो भी हो सरकार
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