ज़िन्दगी के सौदागर
अगर वो हिम्मत करके चलती ट्रेन से कूदी न होतीं तो ना जाने उन्हें किसे बेच दिया जाता ? उन्हें कितने में बेचना है , खरीददार कौन है , सब तैय हो चुका था बस अब तो लड़कियों को मैसूर तक ले जाना भर बाकी था। रतलाम से अगवा की गयी दो नाबालिग बच्चियों को जैसे ही इस बात की भनक लगी कि ४०-४० हज़ार में उनका सौदा कर दिया गया है वैसे ही उन लड़कियों ने बैतूल स्टेशन पर चलती ट्रेन से छलांग लगा दी। ख़ुदा का शुक्र है वो सलामत हैं उन मानव तस्करों के चंगुल से भी और चलती ट्रेन से कूदने पर होने वाली दुर्घटना की आशंका से भी।
यह मानव तस्करी का पहला मामला हो ऐसा नहीं है , आये दिन अख़बारों, टीवी चैनलों पर मानव तस्करी की घटनाएं सुनने को मिल जाती हैं। ड्रग्स और हथियारों के बाद यह दुनियां का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है जो बड़ी तेज़ी से फल-फूल रहा है। जहां महिलाओं और लड़कियों को यौन शोषण और देह व्यापार की आग में झोंक दिया जाता है तो मासूम बच्चों को बंधुआ मजदूर बनाकर अमानवीय तरीकों से होटलों , फैक्ट्रियों आदि में उनसे घंटो काम कराया जाता है साथ ही उनका यौन शोषण भी होता है। इतना ही नहीं बच्चों के हाथ पैर तोड़ कर इनसे भीख तक मंगवाई जाती है। पडोसी देश नेपाल से लाये गए बच्चों से जबरन सर्कस में काम कराया जाता है। इन सब के अलावा किडनी, लीवर आदि मानव अंगों की तस्करी के लिए भी मानव तस्करी की जाती है। मानव तस्करी को ख़त्म करने में एक बड़ी दिक्कत यह भी आती है की इसमें कम से कम तीन देशों के अपराधी शामिल रहते हैं - पहला जहां से बच्चों और औरतों को उठाया जाता है दूसरा वह देश जहां से होकर इनको गंतव्य देश तक पहुँचाया जाता है। इन् अपराधियों की लोकल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल लेवल तक ज़बरदस्त नेटवर्किंग रहती है।
मानव तस्करी के प्रमुख कारणों में - गरीबी, अशिक्षा , बेरोज़गारी है जिसका फायदा मानव तस्कर उठाते हैं। वे गरीब और ज़रूरतमंद लड़कियों और औरतों को शहर या दूसरे देश में नौकरी दिलाने के बहाने , कभी शादी का झांसा देकर तो कभी पैसों का लालच देकर उन्हें उनके घरों से निकालते हैं और बाद में उनका सौदा कर देते हैं। जो लडकियां औरतें आसानी से उनके झांसे में नहीं आती उन्हें डरा धमकाकर या अगवा कर के भी इस काम में लगाया जाता है। नेपाल और बांग्लादेश से लडकियां पहले भारत लायी जाती हैं फिर यहां से खाड़ी देशों , यूरोप और अमेरिका तक में भेजी जाती हैं। जहां उनसे जबरन शादी से लेकर घरेलू कामकाज के साथ साथ देह व्यापार तक कराया जाता है। यह भी देखा गया है की कभी कभी जो महिला खुद मानव तस्करी का शिकार होती है कुछ समय बाद वह इस व्यवसाय में शामिल हो जाती है और दलाल बनकर वे दूसरी लड़कियों महिलाओं को अपना शिकार बनाती हैं। ऐसा करने के लिए भी अक्सर उन्हें पैसों का लालच, इमोशनल ब्लैकमेल या नशे का आदि बनाकर किया जाता है।
दूर क्या जाना देश की राजधानी दिल्ली के पश्चिमी इलाके शकरपुर बस्ती में ही घरेलू नौकर मुहैया कराने वाली ५००० से ज़्यादा एजेंसियां काम कर रही हैं जिनका कोई लेख जोखा किसी भी सरकारी विभाग में नहीं है। बिहार, झारखण्ड, कर्णाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, नार्थईस्ट की लडकियां सबसे ज़्यादा दिल्ली में लेकर बेचीं जाती हैं। फर्स्ट पोस्ट के एक लेख के अनुसार दिल्ली भारत के मानव तस्कर व्यापार का गढ़ है। मानव तस्करी सबसे ज़्यादा देह व्यापार के लिए की जाती है। यहां से लड़कियों को हरियाणा जैसे राज्य में भी बेचा जाता है जहां उनसे हरियाणा के कुंवारे जबरन ब्याह रचाते हैं।
हमारे देश में इंसानी खरीद-फ़रोख्त जैसे गैर कानूनी अपराध की सजा सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक रखी गयी है बावजूद इसके यह अपराध घटने का नाम नहीं ले रहा क्यूंकि मानव तस्करी का काम बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है जिसमें कई बिचोलिये होते हैं। विडंबना तो यह है की अभी तक कोई ऐसा यूनिवर्सल कानून नहीं बना है जो मानव तस्करी के सभी पहलुओं को शामिल करता हो। मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाई गयी लड़कियों और औरतों के लिए जो शेल्टर्स बनाये भी गए हैं वहाँ उनके लिए सम्मान से अपने पैरों पे फिर से खड़े होने जैसे इंतजामात तक नहीं होते। माना अँधेरा बहुत घना है पर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे कई गैर सरकारी संगठन उम्मीद की रौशनी का काम भी कर रहे हैं। अमेरिका का इंटरनेशनल जस्टिस मिशन, नेपाल का ए. बी. सी., कनाडा का अ बेटर वर्ल्ड, भारत के शक्ति वाहिनी, प्रज्ज्वला, अपने आप वुमन वर्ल्ड वाइड आदि ऐसे गैर सरकारी संगठन हैं जो अपने स्तर पर मानव तस्करी के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं। ये संगठन न केवल मानव तस्करों के चंगुल से औरतों लड़कियों और बच्चों को आज़ादा कराते हैं बल्कि उनके रहने, ट्रेनिंग देने का भी काम करते हैं ताकि वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें और सम्मान के साथ जीवन जी सकें। अंत में आप सबसे मेरी यह अपील है कि जब कभी भी और कहीं भी आप महिलाओं और बच्चों को संदिग्ध अवस्था में पाएं जहां उनके मानव तस्करों के हाँथ में पड़ने की आशंका हो तो ऐसे में कम से कम १०० नंबर डायल करके पुलिस को जानकारी ज़रूर दे दें।
भावना पाठक
http://bhonpooo.blogspot.in/
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