कविता-----
आए दिन अखबार में मां द्वारा नवजात शिशु को लावारिस छोड़ दिये जाने की घटनायें छपती हैं।इसी संदर्भ में चंद लाइनें पेश हैं
क्यूं मुझे फेंक दिया कोख में रखकर नौ माह
क्यूं आके सपनों में मुखड़ा मुझे दिखाती हो
बनाया क्यूं था दिल को सख्त तुमने पत्थर सा
क्यूं आके ख्वाबों में मां तुम मुझे हंसाती हो
नरम नरम था जिस्म छोड़ा था जब तूने मुझे
लगी थी चोट अनगिनत जिन्हें सहलाती हो
था एेसा कौन सा डर कौन सी मजबूरी मां
कि जिसके खौफ से तुम अब भी सहम जाती हो
क्या याद आता है तुमको कभी चेहरा मेरा
गर आया याद कैसे दिल को तब बहलाती हो
क्यूं छीना मेरे हक का प्यार तुमने मुझसे मां
क्यूं मुझको अपनी ही नजरों में यूं गिराती हो
bhonpooo.blogspot.in
आए दिन अखबार में मां द्वारा नवजात शिशु को लावारिस छोड़ दिये जाने की घटनायें छपती हैं।इसी संदर्भ में चंद लाइनें पेश हैं
क्यूं मुझे फेंक दिया कोख में रखकर नौ माह
क्यूं आके सपनों में मुखड़ा मुझे दिखाती हो
बनाया क्यूं था दिल को सख्त तुमने पत्थर सा
क्यूं आके ख्वाबों में मां तुम मुझे हंसाती हो
नरम नरम था जिस्म छोड़ा था जब तूने मुझे
लगी थी चोट अनगिनत जिन्हें सहलाती हो
था एेसा कौन सा डर कौन सी मजबूरी मां
कि जिसके खौफ से तुम अब भी सहम जाती हो
क्या याद आता है तुमको कभी चेहरा मेरा
गर आया याद कैसे दिल को तब बहलाती हो
क्यूं छीना मेरे हक का प्यार तुमने मुझसे मां
क्यूं मुझको अपनी ही नजरों में यूं गिराती हो
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