बतकही---
आप की जीत के मायने---2
दिल्ली चुनाव के तीन-चार दिन पहले मैं सिंगरौली में अपने मित्र गहना कोठी वाले वर्मा जी के पास बैठा था,बात घूम फिर कर दिल्ली चुनाव पर आ गयी।वर्मा जी ने कहा कि साहब,दिल्ली में तो केजरीवाल की सरकार बनना तय है।मैने कहा वे किस आधार पर इतने दावे के साथ एेसा कह रहे हैं ,क्योंकी मीडिया तो दोनो के बीच कड़ी टक्कर बता रहा है और यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं फिर खंडित जनादेश न आ जाये।उन्होंने बताया कि वे एक शादी में गये थे जहां दिल्ली में रहने वाले उनके कुछ रिश्तेदार भी आये हुए थे उनसे बातचीत करके यह मालुम हुआ कि दिल्ली के गरीब तबकों के बीच केजरीवाल का जबरदस्त क्रेज है।ये गरीब लोग उत्तर प्रदेश,बिहार, झारखण्ड आदि राज्यों से रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आने वाले प्रवासी है जो दिहाड़ी मजदूरी ,घरों में झाड़ू-पोंछा से लेकर हर तरह के छोटे छोटे काम जैस फेरी लगाना,पटरी पर दूकानदारी कर किसी तरह गुजर बसर करते हैं।यह तबका दिल्ली में सबसे असुरक्षित और झुग्गी-झोपड़ी,गन्दी बस्तियों में रहता है।कुछ को तो फुटपाथ का ही सहारा लेना पड़ता है रात को सोने के लिए।फुटपाथ पर सोने के लिए भी इन्हें इलाके के गुण्डे तथा पुलिस को हफ्ता देना पड़ता है।इसी तरह फेरी वालों,पटरी केे दूकानदारों से भी पुलिस अवैध वसूली करती है।नगर पालिका,कोर्ट-कचहरी आदि सभी जगहों पर छोटे छोटे कामों के लिए इन्हें लूटा जाता है।आप पार्टी के कार्यकर्ताअों ने इनके बीच जा जा कर काफी काम किया है।केजरीवाल की दिल्ली में सरकार आने के बाद तो निचले स्तर के भ्रष्टाचार में काफी कमी आने से इस तबके को बड़ी राहत मिली थी।इसी प्रकार आटो वालों के बीच भी आप की गहरी पैठ है। इस तरह से केजरीवाल गरीब तबके में यह विश्वास जमाने में सफल हो गये कि गरीबों को आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर राहत मिलेगी।
अब जब प्रचण्ड बहुमत से आप की सरकार बन गई है तो चाहे समर्थक हों या फिर विरोधी सभी की नजरें एक ही अोर लगी हैं कि देखें यह सरकार चनावी घोषणापत्र में किये तमाम वादों को किस तरह से पूरा करती है जब की इसके हाथ में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न होनो से बहुत कुछ है नहीं।दिल्ली पुलिस को ही लीजिए यह केन्द्र सरकार के आधीन है,बुनियादी ढ़ांचे का विकास केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के हांथ में है,इसी प्रकार वित्तीय मामलों से संबंधित कानूनों पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली के उप राज्यपाल को है,यानी केन्द्र सरकार का पूरा सहयोग मिले तब कहीं जाकर बात बनेगी।वैसे तो केजरीवाल सरकार के साथ सहयोग करना केन्द्र सरकार के लिए भी हितकर होगा क्योंकी एेसा न होने पर आप मोदी सरकार को बेनकाब करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देगी।टकराव की राजनीति में पलड़ा केजरीवाल का ही भारी पड़ने वाला है,खुद
मोदी केजरीवाल को धरना मास्टर का खिताब दे भी चुके हैं।
चुनावों में लोक लुभावन वायदे कोई नई बात नहीं है।राष्ट्रीय दलों से लेकर क्षेत्रीय दलों तक सभी तरह तरह के वायदे मतदाता को अपनी अोर आकर्षित करने के लिए चुनाव के समय करते आए हैं-कोई जीतने पर गरीबों को बहुत सस्ती दर पर राशन दिलाने का वायदा करता तो कोई विद्यार्थियों को लैपटाप बंटवाने का,बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिलाने का।हाल ही में हुये लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भी विदेशों में जमा कालाधन देश में वापस लाने को जोरदार वायदा किया था जो अब उन्ही के गले की फांस बन गया है।सवाल तो यही है कि आखिर दिल्ली के लोगों ने आम आदमी पार्टी के वायदों पर इतना ज्यादा यकीन क्यों कर लिया जो अभी शैशवावस्था में ही है,अभी जिसकी न तो विचारधारा का लोगों को पता है,न ही आर्थिक नीतियों का। आखिर एेसे कौन से सुनहरे भविष्य की झलक देख ली जनता नें जो आप के जरिये पूरा होते दिख रहा है।इस सवाल का जवाब पाने के लिए बेहतर होगा अगर हम हाल ही के इतिहास के कुछ पन्ने पलटें।
.......क्रमश:
bhonpooo.blogspot.in
आप की जीत के मायने---2
दिल्ली चुनाव के तीन-चार दिन पहले मैं सिंगरौली में अपने मित्र गहना कोठी वाले वर्मा जी के पास बैठा था,बात घूम फिर कर दिल्ली चुनाव पर आ गयी।वर्मा जी ने कहा कि साहब,दिल्ली में तो केजरीवाल की सरकार बनना तय है।मैने कहा वे किस आधार पर इतने दावे के साथ एेसा कह रहे हैं ,क्योंकी मीडिया तो दोनो के बीच कड़ी टक्कर बता रहा है और यह भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं फिर खंडित जनादेश न आ जाये।उन्होंने बताया कि वे एक शादी में गये थे जहां दिल्ली में रहने वाले उनके कुछ रिश्तेदार भी आये हुए थे उनसे बातचीत करके यह मालुम हुआ कि दिल्ली के गरीब तबकों के बीच केजरीवाल का जबरदस्त क्रेज है।ये गरीब लोग उत्तर प्रदेश,बिहार, झारखण्ड आदि राज्यों से रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आने वाले प्रवासी है जो दिहाड़ी मजदूरी ,घरों में झाड़ू-पोंछा से लेकर हर तरह के छोटे छोटे काम जैस फेरी लगाना,पटरी पर दूकानदारी कर किसी तरह गुजर बसर करते हैं।यह तबका दिल्ली में सबसे असुरक्षित और झुग्गी-झोपड़ी,गन्दी बस्तियों में रहता है।कुछ को तो फुटपाथ का ही सहारा लेना पड़ता है रात को सोने के लिए।फुटपाथ पर सोने के लिए भी इन्हें इलाके के गुण्डे तथा पुलिस को हफ्ता देना पड़ता है।इसी तरह फेरी वालों,पटरी केे दूकानदारों से भी पुलिस अवैध वसूली करती है।नगर पालिका,कोर्ट-कचहरी आदि सभी जगहों पर छोटे छोटे कामों के लिए इन्हें लूटा जाता है।आप पार्टी के कार्यकर्ताअों ने इनके बीच जा जा कर काफी काम किया है।केजरीवाल की दिल्ली में सरकार आने के बाद तो निचले स्तर के भ्रष्टाचार में काफी कमी आने से इस तबके को बड़ी राहत मिली थी।इसी प्रकार आटो वालों के बीच भी आप की गहरी पैठ है। इस तरह से केजरीवाल गरीब तबके में यह विश्वास जमाने में सफल हो गये कि गरीबों को आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर राहत मिलेगी।
अब जब प्रचण्ड बहुमत से आप की सरकार बन गई है तो चाहे समर्थक हों या फिर विरोधी सभी की नजरें एक ही अोर लगी हैं कि देखें यह सरकार चनावी घोषणापत्र में किये तमाम वादों को किस तरह से पूरा करती है जब की इसके हाथ में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न होनो से बहुत कुछ है नहीं।दिल्ली पुलिस को ही लीजिए यह केन्द्र सरकार के आधीन है,बुनियादी ढ़ांचे का विकास केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के हांथ में है,इसी प्रकार वित्तीय मामलों से संबंधित कानूनों पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली के उप राज्यपाल को है,यानी केन्द्र सरकार का पूरा सहयोग मिले तब कहीं जाकर बात बनेगी।वैसे तो केजरीवाल सरकार के साथ सहयोग करना केन्द्र सरकार के लिए भी हितकर होगा क्योंकी एेसा न होने पर आप मोदी सरकार को बेनकाब करने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देगी।टकराव की राजनीति में पलड़ा केजरीवाल का ही भारी पड़ने वाला है,खुद
मोदी केजरीवाल को धरना मास्टर का खिताब दे भी चुके हैं।
चुनावों में लोक लुभावन वायदे कोई नई बात नहीं है।राष्ट्रीय दलों से लेकर क्षेत्रीय दलों तक सभी तरह तरह के वायदे मतदाता को अपनी अोर आकर्षित करने के लिए चुनाव के समय करते आए हैं-कोई जीतने पर गरीबों को बहुत सस्ती दर पर राशन दिलाने का वायदा करता तो कोई विद्यार्थियों को लैपटाप बंटवाने का,बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिलाने का।हाल ही में हुये लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भी विदेशों में जमा कालाधन देश में वापस लाने को जोरदार वायदा किया था जो अब उन्ही के गले की फांस बन गया है।सवाल तो यही है कि आखिर दिल्ली के लोगों ने आम आदमी पार्टी के वायदों पर इतना ज्यादा यकीन क्यों कर लिया जो अभी शैशवावस्था में ही है,अभी जिसकी न तो विचारधारा का लोगों को पता है,न ही आर्थिक नीतियों का। आखिर एेसे कौन से सुनहरे भविष्य की झलक देख ली जनता नें जो आप के जरिये पूरा होते दिख रहा है।इस सवाल का जवाब पाने के लिए बेहतर होगा अगर हम हाल ही के इतिहास के कुछ पन्ने पलटें।
.......क्रमश:
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