अपना गम लेके कहीं और न जाया जाए
घर में बिखरी हुयी चीज़ों को सजाया जाए
जिन चरागों को हवाओं का कोई खौफ नहीं
उन चरागों को हवाओं से बचाया जाए
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए
खुदखुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाए
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए॥
शायर
???
No comments:
Post a Comment