साकिया एक नज़र जाम से पहले पहले
हमको जाना है कहीं शाम से पहले पहले
खुश हुआ है दिल की मोहब्बत तो निभा दी तूने
लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले॥
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नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
हम उनको पास बिठा कर शराब पीते हैं
इसलिए तो अँधेरा है मैकदे में बहुत
लोग घरों को जलाकर शराब पीते हैं
उन्ही के हिस्से में आती है प्यास ही अक्सर
जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं॥
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इक न इक शम्मा अँधेरे में जलाए रखिये
सुबह होने को है उम्मीद बनाए रखिये
कौन जाने की वो किस राह गुज़र से गुजरें
हर गुज़र राह को फूलों से सजाये रखिये॥
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बदला न अपने आपको जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे
दुनिया न जीत पो तो हरो न खुद को तुम
थोड़ी बहुत तो ज़हन में नाराजगी रहे
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश है
हम जिसके भी करीब रहे, वो हमसे दूर ही रहे
गुजरो जो बाग़ से तो दुआ मांगते चलो
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे॥
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शायरों का नाम
???
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