Saturday, August 7, 2010

खट्टी मीठी यादों का सफ़र

ऐ दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हमको उनसे है वफ़ा की उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है॥

जो हज़ारों दिलों में रहता है
वो कभी बमकां नहीं होता॥

किसी के जाने का अब अफ़सोस नहीं है हमको
बहुत करीब से उठकर चला गया है कोई॥

कौन कहता है मोहब्बत की जुबां होती है
यह हकीक़त तो आँखों से बयान होती है
वो न आये तो सताती है एक खलिश (चिंता यहाँ पर ) दिल को
वो जो आये तो खलिश (यहाँ पर बेचैनी ) और जवान होती है॥

यह और बात है वो इंसान बनके आया है
मगर वो शक्स ज़मीं पर खुदा का साया है
बड़ा अजीब है आता है उसपे प्यार बहुत
मगर यह बात भी सच है की वो पराया है
उतर भी आओ कभी आसमान के जीने से
की खुदा ने तुम्हे मेरे लिए बनाया है
लोग जिन खाबों को देखने के लिए सोते हैं
उन्ही खाबों ने हमें उम्र भर जगाया है॥

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नहीं देखा
फिर उनके बाद किसी की तरफ नहीं देखा
यहाँ जो भी है आवे-रवां (बहता पानी) का आदि है
किसी ने खुश्क नदी की तरफ नहीं देखा
वो जब से गए हैं ज़िन्दगी से मेरे
ज़िंदा हूँ पर ज़िन्दगी की तरफ नहीं देखा॥

इनमें से किसी भी शायार का नाम नहीं पता मुझे अगर आप को पता हो तो मेरी मदद कीजियेगा

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