Sunday, August 8, 2010

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ खाब चंद उमीदें
इन्ही खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर इक सफ़र को है महफूज़ रास्तों की तलाश
हिफाज्तों की रिवायत(परंपरा) बदल सको तो चलो
कहीं नहीं है कोई सूरज धुँआ धुँआ है फिजा
तुम अपने आपसे बहार निकाल सको तो चलो॥
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शायर
निदा फाजली साहब

2 comments:

  1. bahoot achhaa kalaam hai, lines by legend


    teesre sher kaa misra e saani meN gar ki jagah agar aayegaa

    mujhe ghiraa ke agar tum sambhal sako tau chalo

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  2. shukriya jhony sahab galti sudharwaane ke liye agar kar diya wahan par mainne thanks a lot

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