Sunday, August 8, 2010

चन्द शेर

निगाहों को निगाहों से समझ लेना मुनासिब है
जुबां से हसरते दीदार समझाई नहीं जाती॥

अश्क आँखों से गिरा, खुश्क हुआ सूख गया
काश पलकों पे ठहरता तो सितारा होता॥

ऐसा न हो की आप परेशां दिखाई दें
इतना हमारे वास्ते सोचा न कीजिये॥

तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं
सनम की याद में हरदम खुदा को याद करते हैं॥

शायरों के नाम
???

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