विनय- " माया फटाफट नाश्ता लगा दो सोच रहा हूँ आज कार मेला देख ही आऊं। अपनी वैगनार भी तो खटारा हो गयी है बेचारी, अब तो इसे ड्राईव करने में भी इमबैरेस फील होता है। इट्स अ हियूज कार मेला। लेटेस्ट से लेटेस्ट कार मॉडल डिस्प्ले पर है।
माया- " ठीक है तुम तैयार हो जाओ मै नाश्ता लगाती हूँ। "
उधर पंचू विनय और माया की बातें सुन रहा था। जीजा अंगरेजी में गिटर पिटर कर रहे थे इसलिए उसको कुछ और समझ में तो नहीं आया पर पर अपने मतलब की बात भांप ली उसने की वो किसी मेले में जाने की बात कर रहे थे। वो माया के पास किचन में पहुचता है और बोलता है -ऐ दिदिया जीजा मेला देखे जात हैं का, हमहूँ चले जाई का उनके साथ? हियाँ घर माँ पड़े पड़े उक्तायित (बोर होना) थी। जब से हियाँ आये हन तब से एकौ मेला नहीं देखा। अपने गाँव माँ केत्ता मेला लागत है- सेमरा बाबा का मेला, बाले सहीद का मेला, गाजी मियाँ मेला, काली माई का मेला। हियाँ ससुर एकौ मेला नहीं देखान। नहीं तो टीकू लाला का लेके जाईत और घुमाय लेआयित। बड़े दिना बाद तो मेला का नाम सुनाई पड़ा है। हमार बड़ा मन है मेला घुमे का दिदिया। "
माया- (मन ही मन अपने भाई के भोलेपन पे मुस्कुराती है और मेला जाने के लिए हरी झंडी दिखाती है)।
पंचू ख़ुशी ख़ुशी जीजा के साथ मेला देखने पहुचता है।
विनय- " हाँ जी साले साहब ये रहा मेला। आप घुमो मैं ज़रा इसकी कवरेज करके आता हूँ।
पंचू को जीजा की बात पूरी तरह से समझ में तो नहीं आई पर उसने अंदाजा लगा लिया की जीजा किसी काम से गए हैं। पंचू जिधर भी नज़र दौडाता है उसको कार ही कार नज़र आती है। वो मन में सोचता है - " ससुर सहरान मा तो बस कारे कार देखाई देती हैं। ई कैसा मेला आये न एकौ झूला दिखाई दे, न बच्चन की भीड़, न खाए पिए के कौनो ठेला और न आसपास कौनो मंदिर। होई सकत है कहूँ आगे मेला लाग होए। पंचू बाउंडरी वाल के पीछे तक झाँक झाँक के देख आता है पर दूर दूर तक मेले का कहीं कोई नाम-ओ-निशाँ तक नहीं दिखाई देता। अगर कुछ नज़र आता है तो सिर्फ कारें, तरह तरह की। इतने में एक कार सेल्स एक्साकुतिव पंचू के पास आता है और अपनी कंपनी के लतेस्ट मॉडल की कारों के बारे में पंचू को बताने लगता है। सर इसमें पावर ब्रेक है और यह माईलेज भी जियादा देती है, इन्सुरेंस भी फ्री ऑफ़ कास्ट है सर साथ ही ट्वेंटी थौसेंट की एसेसरीज भी फ्री है।
पंचू - पर भैया हमको ई नहीं लेना है, हम तो यहाँ मेला घुमने आये थे बस।
एक्सेकुतिव - सर अच्छा एक बार आप टेस्ट ड्राइव तो करके देखिये आपको मूड चेंज हो जाएगा यह मेरा दावा है। इतनी स्मूथ और फास्ट ड्राइव कार विद लोट ऑफ़ स्पेस आपने आप को कहीं नहीं मिलेगी ऊपर से मेंटनेंस भी कम मांगती है सर। इससे पहले की पंचू कुछ कह पाता उसने कार की चाभी पंचू के हाथ में थमा दी और कहा आप खुद ड्राइव करके देखिये सर। पंचू ने धीरे से चाबी उसको पकडाते हुए कहा आप ही चलाओ भैया। वो आदमी पूरे रास्ते नॉन स्टॉप कैसेट की तरह पंचू को कार की ना जाने क्या क्या खूबियाँ गिनाता रहा और पंचू बेचारा संकोच में हां में सर भर हिलाता रहा। मन ही मन सोचता - ई कौन आफत गले पड़ गए हमरे। ई आदमी अपने आगे कुछ सुनते नहीं आये? और लागात है ससुर ई रस्त्वव और लंबा होइगा लगत है। "
खैर जब वो टेस्ट ड्राइव से लौट कर आते हैं तो पंचू के बार धीएरे से उससे फिर अपनी जान छुडाने के असफल कोशिश करता है और कहता है ई सब तो ठीक आये भैया पर ई महंग बहुत है। इत्ता पैसा कहाँ पऊब।
सेल्स एक्सेक्युतिव कहता है कैसी बातें करते हैं सर आप भी आप तो बस हाँ कहिये कार आपके पास होगी जीरो परसेंट डाऊन पमेंट पर कार लोन दिलाता हूँ आपको चलिए मेरे साथ।
इतने में पंचू के जीजा जी पंचू को धुन्ध्ते हुए वहाँ पहुच जाते हैं और कहते हैं - क्या सेल साहब कहाँ गायब हो जाते हैं आप कितनी देर से ढूंढ रहे हैं हम आपको। जीजा को देखके पंचू के जान में जान आती है और वो छोटे बच्चे की तरह उनके पीछे छिप जाता है। जीजा- क्या कर रहे हैं आप क्या हुआ।
पंचू - ऐ जीजा ई आदमी कब से भूओत की तरह हमरे पीछे लाग है। ऐसे बचाए लो हमका।
पंचू के जीजा को समझते देर न लगी की यह एक्सेक्युतिव पंचू के पीछे पड़ गया होगा कार लेने के लिए। जीजा जी ने उससे कहा की अभी हम सिर्फ देखने आये थे अच्छा ऑटो एक्सपो लगा रखा है आप लोगों ने. अभी हमारे पास वक़्त नहीं है हम फिर इत्मीनान से आते हैं। एक्सक्यूज अस प्लीज़।
गाडी में बैठते ही पंचू ने राहत की सांस ली और जीएजा से बोले ई कहाँ फसाए दिए रहेओ हमका और हमका तो कहूँ कौनो मेला नहीं देखाई पड़ा सग्लों ढूंढें तबहूँ।
जीजा- यह मेला ही तो था, कार मेला। यही देखने तो आये थे हम।
पंचू- कारौ के मेला लागत है का। हम का जानी हम तो सोचा होई अपने गाँव हसके के बढ़िया मेला एही से तो हम तुम्हरे साथे आवा रहा।
जीजा पंचू के भोलेपन पे मंद मंद मुस्कुरा रहे थे।
(घर पहुचते ही माया पंचू से)- क्यूँ भैया कैसा लगा मेला?
पंचू भी भांप गया था की दीदी और जीजा उसके मज़े ले रहे हैं। वो बोला- मेला रहा की झमेला।( और सब हसने लगते हैं...........................)
भावना के
" दिल की कलम से "
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