Friday, July 30, 2010

मोहब्बत हर किसी पे मेहरबान नहीं होती

जब भी आप किसी की मोहब्बत में गिरफ्तार होते हैं वो शक्स ही आपकी पूरी दुनिया बन जाता है। उसके आगे कुछ सूझता ही नहीं। कमज़ोर से कमज़ोर व्यक्ति भी अपनी मोहब्बत को पाने की खातिर दुनिया से बगावत कर बैठता है, अपनों से उलझने लगता है। जितनी शिद्दत से हम मोहब्बत करते हैं मैं सोचती हूँ अगर उतनी ही शिद्दत से हर काम को किया जाए तो पता नहीं किया दुनिया कहाँ से कहाँ पहुच जाए। पर जब वो ही मोहब्बत नाकाम हो जाती है तो ज़िन्दगी वीरान हो जाती है, चेहरे की हंसी न जाने कहाँ खो जाती है, यादें पल पल तडपाती हैं और अक्सर मोहब्बत में नाकामयाब शक्स या तो दर्द के समन्दर में डूब जाता है या फिर दुनिया से किनारा कर लेता है (अगर उसने सच्ची मोहब्बत की हो तो)। बहुत कम लोग ही दुःख के उस सागर को पार कर पाते हैं और अपने जीवन को फिर किसी बड़े मकसद से जोड़ पाते हैं, जीवन को विस्तार दे पाते हैं। अक्सर प्यार की शुरुआत स्कूल या कॉलेज से होती है। कॉलेज में तो फिर भी थोड़ी समझदारी आ जाती है हममें पर स्कूल टाइम पर तो दिल बच्चा ही होता है जी। उस गीली माटी की तरह जिसे मोहब्बत रुपी कुम्हार जो चाहे वो आकार दे। वैसे तो जब भी मोहब्बत होती है तो सारी की सारी होशियारी धरी रह जाती है दूसरों को जो नसीहतें हम दिया करते हैं वो नसीहतें हमारे ही काम नहीं आती। न जाने कैसा पागलपन कैसा जूनून सा छाया रहता है। उसके साथ रहो तो न जाने वक़्त कैसे पंख लगाके उड़ जाता है कुछ पता ही नहीं चलता। आपके जीने का मकसद ही बदल जाता है, आप में ना जाने कितनी तब्दीलियाँ आ जाती हैं खुद को पता ही नहीं चलता। पर जब परिस्थितियों वश या फिर किसी और कारणों वश वो मोहब्बत का खूबसूरत खाब हकीक़त नहीं बन पता तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने खाब से जगा दिया हो, आसमान में उड़ते परिंदे के मनो पर ही काट दिए हों और वो धडाम से नीचे आ गिरा हो। बहुत ही किस्मत वाले होते हैं वो जिनकी मोहब्बत परवान चढ़ती है, जो खाब उन्होंने साथ मिलके देखे थे वो साथ पूरे कर पाते हैं। वरना अक्सर ये हर किसी पे मेहरबान नहीं होती. नाकाम मोहब्बत से भी मैंने यहाँ प्रेरणा लेने की कोशिश की है -

तुम थे करीब तब न बदल सकी खुद को
तुम दूर होके दे गए नयी पहचान मुझको
तुम थे तो थी एक छोटी सी दुनिया अपनी
तुम्हारे जाते ही विस्तार मिल गया उसको
अब नहीं सालता मुझको तुम्हारे जाने का गम
कर ली है उससे दोस्ती बना लिया हमदम ॥

भावना के
"दिल की कलम से "

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