Saturday, July 24, 2010

निदा फाजली साहब के कुछ दोहे

मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दिल ने दिल से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार।

छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है, बाहों भर संसार।

नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा सबको बाटें काम।

चाहे गीता बांचिये या पढ़िए कुरआन
तेरा मेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान।

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