Thursday, July 29, 2010

ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी है

तन्हाई डसती है अब तो तेरे बिन
दिल से पूछो कैसे कटता है हर दिन
मैक़दे में क्यूँ न ख़ुशी तलाश करूँ
कब तक रात गुजारूं मैं तारे गिन गिन
ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी है
कम से कम पास तो आ रही है दिन ब दिन ॥

भावना के
"दिल की कलम से "

3 comments:

  1. गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...

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  2. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  3. shukriya mitra bas aap logon ka sath mujhe aage badhne ka raasta dikhata hai yun hi sath banaaye rakhiyega dost

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