दिलों में ज़ख्म हैं तलवों में जिनके छाले हैं
उन्ही के दम पे ज़माने में ये उजाले हैं।
गरीबी देखके घर की वो फरमाईश नहीं करते
नहीं तो उम्र बच्चों की बड़ी शौक़ीन होती है।
प्यास कहती है चलो रेत निचोड़ी जाए
वरना हिस्से में समंदर नहीं आने वाला।
आईये महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को
मैं गरीबों की गली तक ले चलूंगी आपको।
कोई जागे के ना जागे ये मुक़द्दर उसका
आपका फ़र्ज़ है आवाज़ लगाते रहिये।
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।
कुछ तो मज्बूओरियान रही होंगी
यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता।
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फासला रखना
जहां दरिया समंदर से मिल्य, दरिया नहीं रहता।
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना न चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा।
लोग टूट जाते हैं जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में।
होके मायूस न आँगन से उखाड़ो पौधे
धुप बरसी है तो बारिश भी यहीं पर होगी।
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फासले से मिला करो।
ये हरे पेड़ हैं इनको न जलाओं लोगों
इनके जलने से बड़ी देर धुँआ रहता है
किसी का दिल न दुखाओ लोगों
इस आशियाने में खुदा रहता है।
कुछ लोग थे जो वक़्त के सांचे बदल गए
कुछ लोग है जो वक़्त के सांचे में ढल गए।
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