कोई छूट जाए, कोई रूठ जाए तो
दर्द सा दिल में होता है
भरी महफ़िल में रुसवाई हो तो
दर्द सा दिल में होता है
खाब की किरिचों पे चलना पड़े तो
दर्द सा दिल में होता है
भाई ही भाई से दगा करे तो
दर्द सा दिल में होता है
पर दर्द के ज़हर को जो पी जाए
यारों वो ही तो "शिव" होता है
भावना के
"दिल की कलम से "
आह बहुत खूबसूरत कविता लिखी मनो दिल निचोड़ कर रख दिया हो.
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