पंचू अखबार में लीन था की तभी भांजे टीकू के रोने की आवाज़ आती है - "मिम्मी मैं स्तूल नहीं दाउन्दा नीनू आ लही है"। पंचू के बहन माया गुस्सा करते हुए-नहीं बेटा स्कूल मिस करने वाले बच्चे गंदे होते हैं। आज आपको गीता मैम नयी पोयम सिखाएंगी न और नया वर्ड भी तो सीखना है ना सी फॉर "कैट" मियाऊँ" और अगर आप स्कूल नहीं जाओगे तो कैट आपका सारा दूधू पी जाएगी फिर टीकू बाबा स्ट्रोंग कैसे बनेगा सुपरमैन की तरह? सूपरमैन का नाम सुनते ही टीकू आँखों में नींद भरे उठता है। माया उसे जल्दी से ब्रश कराते ही स्कूल ड्रेस पहनाती है की तभी स्कूल का ऑटो आ जाता है, ड्राईवर लगातार होर्न बजाता है। टीकू दूध नहीं पीता, माया उसके पीछे पीछे दौड़ती है -टीकू जल्दी से दूधू पियो , ऑटो वाले अंकल आ गए हैं बेटा. टीकू - दूधू गन्दा है, मनु भी नहीं पीता. उसकी मिम्मी चौकलेट देती है मै भी चौकलेट खाउन्दा, मै स्कूल नहीं जाउन्दा, वो जोर जोर से रोने लगता है. पंचू से उस ढाई साल के नन्हे से बच्चे का रोना नहीं देखा जाता और वो अपनी बहन से बोलता है - ''ए दिदिया लाला का मन नहीं आये स्कूल जाए का रहे देओ, कहे रोआये पड़ी हौ? एक दिन स्कूल ना जाई तो कवन आसमान फाट पड़ी. या कवन पढाई आये की कसाई हस (की तरह) लाला के पीछे पड़ी हौ. हमार लाला बहुत समझदार हैं, आखिर लाला पूरे दिन खेल खेल मा घरौ मा तो पढते रहत हैं. इत्ते छोट हैं और इत्ता जानत हैं की हमहूँ नहीं जनतें . चिड़िया, कऊआ, मुर्गी सब चीन्हत (पहचानता है) हैं. केत्ता तो गाना सुनावत हैं. तनी(थोडा) और बड़े होए देओ तब बस्ता(बैग) पकडाओ. स्कूल नहीं अच्छा लागत उनका. कल बतावत रहे की कौनो फ़रीन मैडम हैं कल लाला से कुछ बिगड़ गा रहा तो बहुत डाटें लाला का. हमार मानो तो दुई तीन साल अबै तुम इनका घर मा पढाओ और खेले कूड़े देओ. आओ लाला हिया आओ, चलो चली खेले. हम बन जाई घोडा तुम हमरे ऊपर करो सवारी. उधर माया के हसबैंड की आवाज़ आती है- क्या कर रही हो, कितनी देर से ड्राईवर होर्न बजा रहा है, सुनाई नहीं देता? कहाँ है टीकू? माया - वो ना तो दूध पी रहा है और न स्कूल जाने को तैयार है, कहता है मामा के साथ घोडा घोडा खेलूंगा, मै क्या करून? " हसबैंड वो तो बच्चा है तुम तो बच्ची नहीं हो न ? रिपोर्ट कार्ड नहीं देखा पड़ोस के मनु से कितना पिछड़ गया है इस बार?"
पंचू - " अरे जीजा ई नन्ही सी जान और इत्ता बोझ. अरे ई खेले खाए की उमिर (उम्र) आये,अबे आणखी मा नींद भरी है. भाई हमसे ई अतियाचार नहीं देखा देख जात. जब देखो तब लड़का के पीछे डंडा लईके ठाड़ (खड़े) रहत हौ. ना खेले पावे, न सोवे पावे, ना खाए पावे. ई पढाई आये की सजा? "
जीजा- "पंचू बाबू ये दिल्ली है दिल्ली. तुम्हारा गाँव मनग्रहोनी नहीं है की हुआ सवेरा और गुल्ली डंडा लेके निकल गए खेलने. यहाँ कितना खर्च करना पड़ता है पढाई में कुछ पता है आपको? स्कूल फीस, एक्टिविटी फीस, टूर ट्रिप फीस, टियुशन फीस कचुम्बर निकल जाता है अच्छे अच्छों का . आपके यहाँ क्या बस सरकारी स्कूल में हांक दिया और छुट्टी और सरकारी स्कूलों में भी कोई पढाई होती है क्या? अगर आप भी अंग्रेजी मीडियम में पढ़े होते तो आज मनग्रहोनी में हल नहीं जोत रहे होते बल्कि दिल्ली या बम्बई जैसे शहर में मेरी तरह नौकरी करते होते. ज़रा बताईये तो आपके गाँव के कितने लड़के डॉक्टर या इंजीनिअर हैं? "
पंचू- " जीजा गोस्सात ( गुस्सा क्यूँ करते हो) कहे हौ हमसे लाला का रोब (रोना ) नहीं देखगा तो हम कही दिया."
माया- " अरे आप जीजा साले क्यूँ लड़ रहे हो, चलो चलके टीवी देखो. अब सरकार ने भी चार साल से कम उम्र के बच्चों को स्कूल भेजने पे रोक लगा दी है. अब हमारा टीकू की डेढ़ साल तक खेलने कूदने की छुट्टी. माया (हँसते और पति की चुटकी लेते हुए) देखा जीत हमारे भैया की ही हुयी."
पंचू- एक बार अपनी दीदी और जीजा की तरफ देख के मुस्कुराता है और फिर भांजे को बुलाते हुए कहता है-" आओ आओ लाला आओ चलो घोडा घोडा खेली.......लकड़ी की काठी, काठी का घोडा ...................
भावना के
"दिल की कलम से"
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