Saturday, July 31, 2010

मेरे प्रिय मुन्नवर राणा के कुछ शेर आपको नज़र करती हूँ

माँ पर तो उन्होंने जो लिख दिया है वो इतिहास हो गया और उनसे बेहतर कोई और लिख ही नहीं पाया सुनिए-

किसी को घर मिला हिस्से में, या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में माँ आई॥

ऐ अँधेरे देख मुह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दी, घर में उजाला हो गया॥

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
एक मेरी माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती॥

इसके अलावा --

मिटटी में मिला दे की जुदा हो नहीं सकता
अब इससे जियादा मैं तेरा हो नहीं सकता
किसी शक्स ने रख दी हैं तेरे दर पे आँखें
इससे रोशन तो कोई और दिया हो नहीं सकता॥

कहने की ये बात नहीं है लेकिन कहना पड़ता है
एक तुझसे मिलने की खातिर सबसे मिलना पड़ता है
माँ बाप की बूढी आँखों में एक फिक्र सी छाई रहती है
जिस कम्बल में सब सोते थे अब वह भी छोटा पड़ता है॥

ऐसा लगता है की अब कर देगा आज़ाद मुझे
मेरी मर्ज़ी से उड़ाने लगा सय्याद (शिकारी) मुझे
मैं समझता हूँ इसमें कोई कमजोरी है
जिस शेर पे मिलने लगे गर दाद मुझे॥

उनके हाथों से मेरे हक में दुआ निकली है
जब मर्ज़ फ़ैल गया है तो दावा निकली है
एक ही झटके में वो हो गयी टुकड़े टुकड़े
कितनी कमज़ोर वफ़ा की ज़ंजीर निकली है॥

मेरी अनाह(अहंकार) का कद ज़रा ऊँचा निकल गया
जो भी लिबास पहना वो छोटा निकल गया
वो सुबह सुबह आये मेरा हाल पूछने
कल रात वाला खाब तो सच्चा निकल गया
वो डबडबाई आँखों से आये हैं देखने
इस बार तो करेला भी मीठा निकल गया
शायद वफ़ा नहीं है हमारे नसीब में
इस ओधनी का रंग भी कच्चा निकल गया॥

दुनिया सलूक करती है हलवाई की तरह
तुम भी उतारे जाओगे मलाई की तरह
माँ बाप मुफलिसों की तरह देखते हैं बस
कद बेटियों के बढ़ते हैं महंगाई की तरह
हम चाहते हैं रक्खे हमें भी ज़माना याद
ग़ालिब के शेर तुलसी की चौपाई की तरह
हमसे हमारी पिछली कहानी न पूछिए
हम खुद उधड़ने लगते हैं तुरपाई की तरह॥

शायर
मुन्नवर राणा साहब

8 comments:

  1. दुनिया सलूक करती है हलवाई की तरह
    तुम भी उतारे जाओगे मलाई की तरह
    माँ बाप मुफलिसों की तरह देखते हैं बस
    कद बेटियों के बढ़ते हैं महंगाई की तरह
    हम चाहते हैं रक्खे हमें भी ज़माना याद
    ग़ालिब के शेर तुलसी की चौपाई की तरह
    हमसे हमारी पिछली कहानी न पूछिए
    हम खुद उधड़ने लगते हैं तुरपाई की तरह॥
    ...दिल को छु गई ये पंक्तियाँ,इतनी अच्छी चीज़ों को सामने लाने के लिए धन्यवाद|

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  2. shukriya dost aur bhi collection hai zaroor post karungi aap waqt nikaal ke padhiyega

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  3. Sher pasand aaye ...aapke oopar vali post me comment ka option hi nahi hai . vo bhi pasand aaye .

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  4. Beautiful compilation .....
    deep meaning.....
    wish people use them as a source of knowledge.....not only reading......

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  5. nice ones....
    next time trivenis by gulzar sahab.....
    its request...

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  6. ji shravan ji gulzar sahab ki triveni find out karne ki koshish karti hun mil jayegi to zaroor post karungi

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  7. shravan ji triveni post kar dee hai gulzaar sahab ki waqt nikaal ke padhiyega

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  8. मुनव्वर रना साहेब बहुत ही ऊँचे शायर है उनकी शायरी को मेरा सलाम है :-
    मिटटी में मिला दे की जुदा हो नहीं सकता
    अब इससे जियादा मैं तेरा हो नहीं सकता
    किसी शक्स ने रख दी हैं तेरे दर पे आँखें
    इससे रोशन तो कोई और दिया हो नहीं सकता॥

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