सब कुछ महंगा हो गया पर सस्ता इंसान
साडी लेने में गयी, कितनो की ही जान ।
(नेता लोग चुनाव के वक़्त जो साड़ियाँ बांटते हैं उसे लेने के लिए ही कितनी छीना छपती मचती है की लोगों की मौत तक हो जाती है। अब अंदाजा लगा लीजिये की आज भी गाँव में कितना अभाव और गरीबी है और एक हम है की ब्रांडेड कपडे से नीचे की बात ही नहीं करते )
वेतन का है एक दिन, खर्च का पूरा मास
महंगाई ज्यों ज्यों बढे, बिगड़े होश हवाश ।
मत खुश हो मन देखके, यह सेंसेक्स उछाल
मरते हैं इस देश के, भूख से अब भी लाल।
महंगाई के बाद अब है मंदी का दौर
लोगों से है छिनती उनके मुह का कौर ।
वे कहते धीरज धरो, करो न चीख पुकार
कमर दोहरी हो गयी जब पड़ी महंगाई की मार।
महंगाई त्यों त्यों बढे , ज्यों ज्यों करें इलाज
डॉक्टर ऐसे मिले सखी, बने न एको काज।
Awesome dohe......hats off
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