हार के ऊपर जो मैंने नीचे लिखा है इसकी प्रेरणा हैं मित्र जैपाल जिन्होंने मुझसे हारे हुए दोस्तों के हक में दुआ करने को कहा था ताकि वो भी ज़िन्दगी में कामयाब हो सकें। अगर आपने थ्री idots फिल्म देखि होगी तो आपको याद होगा की आमिर एक जगह कहते हैं की पढना है तो काबिल होने के लिए पढो कामयाब होने के लिए nahi और वास्तव में सुख दुःख की ही तरह, dhoop छाँव की ही मानिद कामयाबी भी स्थायी नहीं है पता चला आज आप कामयाब है और कल नहीं लेकिन काबिलियत में स्थिरता है, वो सदैव आपके साथ है, आपके पास ही और कामयाबी की कुंजी भी वही है। बस जैपाल की बातों पर कलम चलने लगी और एक छोटी सी कविता बन गयी । अब प्रतिक्रया देने की बारी आपकी दोस्तों ---
हार का कहीं कोई साथी नहीं
इससे चेहरे पे कोई ख़ुशी आती नहीं
डरते है सभी हार के नाम से
जानी जाती है कामयाबी ही नाम से
क्यूँ समझते हो वो किसी काबिल नहीं
जिसको आज कोई जीत हासिल नहीं
असफलता सफलता का ही द्वार है
जीत दरसल हार का ही ज्वार है।
भावना के
"दिल की कलम से "
beautiful....जीत दरसल हार का ही ज्वार है।...loved these words.....it's a lesson for all....
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ReplyDeleteThank you dear for sending me the composition . I liked it. Keep it up. Send me more .
ReplyDeleteWith all my blessings and love bhavana
thanks sir hum jaise hi kuchhh naya likhenge aapko zaroor bhejenge padhne ke liye
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