Saturday, July 24, 2010

मंजिल खुद करीब आती है

प्यास एक आस लेके आती है
आस ही हौसला बढ़ाती है।
इरादों में अगर बुलंदी हो
मंजिल खुद करीब आती है। ।
इससे लिखने के पीछे एक कहानी है सोचा आपसे वो भी शेयर कर लूं आपको सुनके भी अच्छा लगेगा और मुझे भी ख़ुशी होगी। हुआ यूँ की मेरे मन में आया की क्यूँ न मैं एम् फिल कर लूं और इत्तेफाक देखिये जब इंदौर के देवी अहिल्या विश्विद्यालय में एम् फिल के बारे में पता करने गयी तो फॉर्म भरने की आखरी तारिख थी २४ जुलाई और मैं पता करने गयी थी २१ जुलाई को । यानी मेरे पास गिन के तीन दिन थे फॉर्म भरने के लेकिन दिक्कत ये थी की मेरी एम् ऐय की मार्कशीट मेरे पास नहीं थी मैंने हिसार के गुरु जम्बेश्वर यूनीवर्सिटी से एम् ऐय किया था पर मार्कशीट अब तक नहीं आई थी। दिली इच्छा थी की मैं मॉस कमुनिकेसन में एम् फिल करूँ पर उम्मीद कम ही थी मार्कशीट के आने की और वक़्त भी नहीं था मैं जाके खुद ले आती। मैंने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की अपने सारे दोस्तों को जो दिल्ली में हैं उनको फ़ोन किया की वो मेरी मदद करें सबने कोशिश की पर काम बन नहीं पा रहा था। मैंने उस यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पे भी जाके रिजल्ट पता करने की कोशिश की पर नाकामयाब ही रही पर दिल में एक उम्मीद थी न जाने क्यूँ की मेरा ये काम हो जाएगा कैसे भी करके। मैंने वेबसाइट पे यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर साहब का मेल आई दी देखा तो पहले तो लगा अगर मैं उनको मेल भी करती हूँ तो क्या फायदा पता नहीं मेरे जैसे कितने ही मेल आते होंगे उनको वो देखेंगे भी या नहीं पर दिल नहीं मन तो मैंने उनको एक मेल किया की सर आपका उठाया एक कदम मेरी ज़िन्दगी बदल सकता है आप मेरी उम्मीद की आखिरी किरण हो और दुसरे दिन ही उनका मेल आ गया और उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार साहब से कहा था की वो ये मामला देखे एक बच्चे के भविष्य का सवाल है आखिरकार और उन्होंने शाम तक मुझे मेरे मार्कशीट की स्कैनेद कॉपी भेज दी। मुझे यकीं नहीं हो रहा था की वो काम जो कितना मुश्किल लग रहा था जिसके होने की उम्मीद भी बहुत ही कम थी आखिर कैसे हो गया। मैं शुक्रियादा करना चाहूंगी इसके लिए एम् आर पात्र सर का जो उस यूनिवर्सिटी के सर हैं, मेरे दोस्त मनीष और रणजीत का जिन्होंने मेरा साथ दिया मेरी मदद की और मेरे भाई मनु का जो आखिरी में हिसार जाने को तैयार था की वो लेके आएगा मेरी मार्कशीट पर इन सब की ज़रुरत ही नहीं पड़ी। मुझे प्यास थी एम् फिल करने की और मेरी प्यास ही मेरी आस बनी। उम्मीद ने मेरा हौसला बढ़ाया और मेरे इरादे ने मुझे मंजिल तक पहुचाया। कहने के लिए ये कोई बड़ी घटना नहीं पर उम्मीद से भरी है इसलिए आपके साथ शेयर किया।

भावना के
" दिल की कलम से "

2 comments:

  1. if you believe in yourself and try.....it pays off.....
    you tried and got result....
    good luck and wishes....

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  2. भावना जी आप ने जो आस ना छोड़ी वो आपकी सबसे बड़ी पूँजी है, बाकि कहा जाये तो आप किस्मत की बड़ी धनि हो जो इतने प्रयासों से ही आप पे मेहरबान हो गयी यहाँ तो लोगो को बरसो लग जाते है अरमान पुरे करने में लेकिन हर समय कुछ ना कुछ दिक्कत हो जाती है ना जाने उनकी किस्मत आप जैसी नहीं है या फिर वो इतनी सिद्दत से प्रयास नहीं करते.
    आप जरुर आगे बढे लेकिन कुछ दुवाए हारे दोस्तों के लिए भी कर दो हो सकता है वो अपनी हार को जीत में बदल दे, क्योकि दुवाओ में बहुत दम होती है~!

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