Sunday, September 7, 2014

ऐ दोस्त तुम भड़कना नहीं 

वो कभी भटकायेंगे
कभी भड़काएंगे 
ग़लतफ़हमी फैलाकर 
आपस में लड़ाएंगे। 

नहीं चाहते हैं वो 
एक होकर रहे हम 
जो एक हो गए हम 
तो वो हार जाएंगे। 

मज़हब और औरतों को
मुद्दा बनाकर 
दुखती रगों पे ही 
वार करते जाएंगे। 

सोशल मीडिया को 
बनाके हथियार   
इससे साम्प्रदायिकता की 
आग वो लगाएंगे। 

प्रेम करने वालों पर 
होगा शिकंजा 
लव-जेहाद होगा 
उनका नया खूनी पंजा
असली मुद्दे तो बहुत  
पीछे छूट जाएंगे 
अफवाहों पर ही 
हम पंजा लड़ाएंगे। 

पर ऐ दोस्त 
तुम न होना
उनकी साज़िश का शिकार 
तुम भटकना नहीं 
तुम भड़कना नहीं। 

भावना पाठक 
bhonpooo.blogspot.in
dilkeekalamse.blogspot.in

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