फ़िल्म #Rog की समीक्षा (यादों में इरफ़ान सीरीज...04)
आज (02/05/2020) यादों में इरफ़ान सीरीज के तहत उनकी फ़िल्म #Rog देखी जो एक रोमांटिक थ्रिलर मूवी है जिसे डायरेक्ट किया है हिमांशु ब्रमहभट्ट ने, लिखा है महेश भट्ट ने और इस फ़िल्म की प्रोड्यूसर हैं पूजा भट्ट। इरफ़ान की यह फ़िल्म 2005 में रिलीज़ हुई थी। रोग एक मर्डर मिस्ट्री है जिसे सुलझाने वाले पुलिस ऑफिसर उदय प्रताप (इरफ़ान खान) को उस मॉडल की तस्वीर से प्यार हो जाता है जिसकी मर्डर मिस्ट्री सुलझाने वो मौकाए वारदात पर उसके घर पहुंचता है। महेश भट्ट की फ़िल्मों की एक खासियत है, उनकी फ़िल्म हिट हो ना हो पर उनके गाने बहुत शानदार होते हैं, इस फ़िल्म के भी तीनों गाने: मैंने दिल से कहा ढूंढ़ लाना खुशी, खूबसूरत है वो इतना, तेरे इस जहां में बेहद खूबसूरत और सिचुएशनल हैं। इरफ़ान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो एक्टिंग करते हुए कहीं भी दिखाई नहीं देते बल्कि उस किरदार को जीते नज़र आते हैं। इस फ़िल्म में भी आपको इरफ़ान के किरदार से मोहब्बत हो जाएगी, उनकी बेचैनी, आंखों से छलकता दर्द, उस मॉडल की तस्वीर से बेपनाह म मोहब्बत, उससे बाहर ना निकल पाने की बेचैनी, जितना दूर जाने की कोशश करे उतना गहराई में उतरते जाना, रात रात भर सो ना पाना इन सारे भावों को इरफ़ान ने बड़ी ही सहजता से निभाया है। इश्क़ के रोग से ग्रसित वो भी रूहानी इश्क़ के रोग के मारे इरफ़ान की अदायगी देखने लायक है इस फ़िल्म में। इरफ़ान की बोलती आंखें, क़ातिल मुस्कान, सहज, सरल मगर प्रभावशाली संवाद और अभिनय की अदायगी उन्हें श्रेष्ठ कलाकारों की पंक्ति में खड़ा करता है और इसके लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे।
फ़िल्म की कहानी कुछ ऐसी है कि माया सोलोमन (इलेने हमन्न) नाम की एक नामचीन मॉडल का मर्डर हो जाता है और उस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने के लिए पुलिस ऑफिसर उदय प्रताप को भेजा जाता है। उदय जब उस मॉडल के घर पहुंचता है तो उसकी सम्मोहक तस्वीर की तरफ खुद ब खुद खिंचा चला जाता है और रही सही कसर उस मॉडल का पत्रकार दोस्त हर्ष (सुहैल खान) पूरी कर देता है माया की तारीफों के पुल बांध कर, ये बताकर कि उसमें एक गज़ब का आकर्षण था। उदय माया की डायरी पढ़ता है और उसमें डूबता चला जाता है। रह रह कर उसे माया का चेहरा याद आता है और वो सोते सोते जाग जाता है, उसकी स्थिति एक पागल दीवाने सी हो जाती है। उदय का दोस्त कहता भी है, तुझे प्यार भी हुआ तो एक मरी हुई लड़की से? माया के मर्डर के लिए शक की सुइयां उसके पत्रकार एवं लेखक दोस्त हर्ष, लवर अली और आंटी श्यामुली पर जाती हैं क्यूंकि माया की कहानी किसी पहेली से कम नहीं थी। हर्ष माया से प्यार करता है, उसे एक साधारण सी लड़की से एक टॉप क्लास मॉडल बनाता है पर माया अली की ओर आकर्षित होने लगती है। अली एक वूमेनायीजर है, नीना नाम की लड़की उससे बेइंतहां मोहब्बत करती है पर अली माया की तरफ आकर्षित होता है साथ ही उसके रिश्ते माया की आंटी श्यामली के साथ भी हैं, हर्ष को माया और अली की नजदीकियां बर्दाश्त नहीं होती। उदय इन्हीं सारी गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश करता है कि तब ही अचानक से माया आ जाती है। माया को ज़िंदा देख उदय हक्का बक्का रह जाता है पर फिर उसे समझ आ जाता है कि मरने वाली लड़की कोई और नहीं नीना थी। पर नीना को आखिर किसने मारा और क्यूं? जानने के लिए ये मूवी देखेंगे तो मज़ा आएगा आपको।
इरफ़ान और सुहैल की ऐक्टिंग के अलावा और किरदारों खासकर लीड एक्ट्रेस ऐक्टिंग के मामले में कमज़ोर नज़र अाई, सारा दारोमदार इस फ़िल्म में इरफ़ान के अभिनय पर टिका था। लीड एक्ट्रेस ओवर एक्सपोज करने के बावजूद अपने किरदार को प्रभावशाली नहीं बना पाई। उस फ़िल्म को आप इरफ़ान के अभिनय को देखने के लिए ज़रूर देख सकते हैं। वो आपको निराश नहीं करेंगे।
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