Friday, May 15, 2020

फ़िल्म #LifeofPi की समीक्षा

फ़िल्म #Lifeofpi की समीक्षा ( यादों में इरफ़ान सीरीज...13)

आज (15/05/2020) यादों में इरफ़ान सीरीज के तहत इरफ़ान खान की एक और उम्दा फ़िल्म देखी #Lifeofpi   जो 2012 में रिलीज हुई थी, इसे निर्देशित किया है ताइवान के फ़िल्म मेकर अंग ली ने। इस फिल्म ने चार एकेडमी यानि ऑस्कर अवॉर्ड जीते  हैं और विश्व सिनेमा जगत में भी इस फ़िल्म को भरपूर सराहा गया। ये एडवेंचर ड्रामा फ़िल्म यान्न मर्टेल के उपन्यास #LifeofPi पर आधारित है। फ़िल्म में सोलह वर्षीय पाई का किरदार निभाया है सूरज शर्मा ने और बड़े पाई पटेल के किरदार में हैं इरफ़ान खान जो एक उपन्यासकार को अपनी आप बीती सुनाते हैं। ये कहानी है तूफ़ानी मौत को मात देकर उम्मीद की लाइफ सेविंग बोट के सहारे ज़िन्दगी के दामन को पुनः थामने की। कहानी में फ़्लैश बैक तकनीक का बेहद खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। 

फ़िल्म की कहानी कुछ यूं है कि एक नया उपन्यासकार कनाडा में पाई पटेल से उनके सर्वाइवल की कहानी सुनने आता है और इस तरह फ़िल्म फ़्लैश बैक में ले जाती है जहां पांडिचेरी में एक तमिल हिन्दू परिवार होता है जिसमें पाई की परवरिश उसके बड़े भाई रवि के साथ होती है। परिवार में कुल जमा चार लोग है माता पिता और दो भाई और इस परिवार का एक ज़ू है जिसके एक बंगाल टाइगर रिचर्ड पार्कर जी हां सही सुना आपने टाइगर का ही नाम है रिचर्ड पार्कर, से पाई को बड़ी मोहब्बत होती है। पाई की ज़िन्दगी की ही तरह उसके नामकरण की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। पाई के पिता ने पाई का नाम एक फ्रेंच स्विमिंग पूल के नाम पर पिसिं मोलिटर पटेल रखा था पर सभी उसे पिसिंग पिसिंग कहकर चिढ़ाते थे इसलिए उसने अपना नाम बदलकर पाई पटेल रख लिया था। एक दिन पाई के पिता तय करते हैं कि वो अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य की खातिर पांडिचेरी छोड़कर कनाडा सेटेल हो जाएंगे और वहीं अपने जू के जानवरों को किसी को बेंच देंगे। प्लान के मुताबिक वो एक जैपनीज शिप से कनाडा के लिए रवाना होते हैं पर उन्हें क्या पता था कि कुदरत ने उनके लिए कुछ और प्लैनिंग कर रखी थी। समुद्र में भीषण तूफान आता है जिसमें पूरा का पूरा जहाज डूब जाता है और सभी मारे जाते हैं सिवाय पाई पटेल और रिचर्ड पार्कर (टाइगर) के। पाई किस तरह खुद को और रिचर्ड को समुद्र की लहरों के थपेड़े खाते हुए बचाता है साथ ही एक और समुद्री तूफान का सामना करता है उसे इस फ़िल्म के ज़रिए बड़े ही प्रभावी ढंग से बताया गया है। फ़िल्म के अंडर वाटर शॉट्स देखकर आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। पाई को एक तरफ समुद्र की तीव्र लहरों से ख़तरा है तो दूसरी ओर रिचर्ड पार्कर से क्यूंकि वो टाइगर जो ठहरा, कभी भी पाई पर हमला कर उसे अपना शिकार बना सकता था। पाई के एक तरफ कुआं था तो दूसरी तरफ खाई। लाइफ सेविंग बोट पर पाई मौत के साथ सफ़र कर रहा था लेकिन धीरे धीरे पाई का डर खत्म होता जाता है वो रिचर्ड पार्कर को बचाने के लिए फिशिंग करता है, उसे पानी पिलाता है, उसके साथ संवाद स्थापित करने की कोशिश करता है। दूर दूर तक सिर्फ पानी ही पानी के अलावा पाई को कुछ भी नजर नहीं आता पर ऐसी मुश्किल घड़ी में पिता की दी गई हिदायतें पाई के बहुत काम आती हैं और वो निराशा की धूल झाड़ते हुए अगले ही पल पुनः ऊर्जा और आशा से लबरेज़ नज़र आने लगता है। उस एकांत में सिर्फ रिचर्ड पार्कर ही पाई के साथ नज़र आता है और शायद उस साथ के सहारे ही पाई मैक्सिकन समुद्र तट तक पहुंच पाता है। समुद्र तट तक आते आते पाई की हिम्मत जवाब दे जाती है और वो बेहोश होने लगता है और रिचर्ड पार्कर  बोट से उतरकर सामने के जंगलों में कहीं गुम हो जाता है। रिचर्ड के इस तरह पाई को छोड़कर जाने से पाई उसके लिए बहुत रोता है पर शायद उन दोनों का साथ यहीं तक था। पाई को इंसानों की दुनियां में लौट जाना था तो रिचर्ड पार्कर को अपनी दुनियां में। जब पाई ने जैपनीज बीमा कम्पनी के लोगों को अपनी कहानी बताई तो उन्हें यकीन नहीं हुआ फिर उसने उसी कहानी को दूसरे अंदाज़ में सुनाया। पाई उस उपन्यासकार से पूछता है उसे कौन सी स्टोरी अच्छी लगी तो उपन्यासकार कहता है टाइगर के साथ वाली। 
इरफ़ान ने इस फ़िल्म में एक अच्छे किस्सागो की भूमिका निभाई है जो अपनी दास्तां उस उपन्यासकार को सुनाते हैं और अंत में उनकी आंखें भर आती हैं क्यूंकि वो अपने बचपन की मोहब्बत, माता पिता यहां तक कि रिचर्ड पार्कर को भी गुड बाय नहीं बोल पाते उनका शुक्रिया अदा नहीं कर पाते। इरफ़ान के डायलॉग्स, उनके एक्सप्रेशन उनकी कहानी सुनने की ललक को और बढ़ाते हैं। सूरज शर्मा ने ज़बरदस्त अभिनय किया है और इसके लिए सिनेमा जगत में उनके काम की खूब तारीफ हुई। उनके ऑडिशन का किस्सा भी ज़बरदस्त है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलज के पढ़े सूरज शर्मा को इस फ़िल्म में लीड किरदार निभाने के लिए ऑडिशन के कई राउंड देने पड़े और वो तीन हज़ार लोगों को पीछे छोड़ कर इस रोल के लिए चुने गए और इस फ़िल्म से खूब नाम कमाया। टाइगर जैसे खुंखार जानवर से पाई कैसे धीरे धीरे दोस्ती कर लेता है, ख़ुद को और रिचर्ड को ज़िंदा रखने के लिए कितनी जद्दोजहत करता है ये देखने लायक है। कैमरा वर्क, किरदारों का अभिनय, फ़िल्म का निर्देशन, बैकग्राउंड स्कोर, एडिटिंग सब मिलकर फ़िल्म #Lifeofpi को एक अविस्मरणीय फ़िल्म बनाते हैं।

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