Thursday, May 28, 2020

फ़िल्म #ब्लैकमेल की समीक्षा

फ़िल्म #ब्लैकमेल की समीक्षा (यादों में इरफ़ान सीरीज...18) 

आज (28/05/2020) यादों में इरफ़ान सीरीज के तहत इरफ़ान अभिनीत एवं अभिनय देव द्वारा निर्देशित फ़िल्म #Blackmail देखी जो 2018 में रिलीज़ हुई थी। ये फ़िल्म पति पत्नि के दाम्पत्य जीवन में किसी तीसरे के आने से आ जाने वाली अनचाही मुसीबतों की कहानी है जिसमें एक झूठ को छुपाने के लिए अनगिनत झूठ के बाण चलाने के कारण पति पत्नि और वो (यहां वो महिला नहीं पुरुष है) तीनों मुश्किलों के भंवर जाल में फस जाते हैं। ये फ़िल्म हंसाते हंसाते कई सबक सिखा जाती है। फ़िल्म में इरफ़ान के अलावा हैं कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह, दिव्या दत्ता एवं ओमी वैद्य। 
ये फ़िल्म एक टॉयलेट पेपर बेचने वाली कंपनी में काम करने वाले देव (#इरफ़ानखान) की कहानी है जो देर रात तक ऑफिस में ही वीडियो गेम खेलता रहता है और सबसे आख़िरी में घर जाता है जबकि वो शादीशुदा है। कहने को तो देव की एक ख़ूबसूरत पत्नि है पर वो या तो टीवी देखने में बिज़ी रहती है या देव के आने से पहले ही सो जाती है। जब ऑफिस का गार्ड उससे पूछता है कि वो इतनी देर तक ऑफिस में क्यूं रहता है, उसकी तो शादी हो चुकी है तो देव एक लम्बी सांस छोड़ते हुए कहता है कि शादी तो गावों में होती है शहरों में तो बैंड बजता है। एक दिन अपने दोस्त के कहने पर वो गुलाब लिए घर जल्दी पहुंच जाता है रीना (#कीर्तिकुल्हारी) को सरप्राइज देने के इरादे से पर घर पहुंचकर रीना की बाहों में किसी और को देखकर ख़ुद सरप्राइज्ड हो जाता है। एक बार तो उसके मन में आता है कि वो उस इंसान का ख़ून कर दे पर आहत देव चुपचाप घर से बाहर आ जाता है। देव दोनों को सबक सिखाने के इरादे से रंजीत अरोड़ा (#अरुणोदयसिंह) को ब्लैकमेल करता है कि अगर उसने उसे एक लाख रुपए नहीं दिए तो वो रीना के पति को सब बता देगा। रंजीत अपनी पत्नि डॉली वर्मा (#दिव्यादत्ता ) से इंपोर्ट एक्सपोर्ट के बिज़नेस के नाम पर पैसे मांगता है। देव उससे अपने घर की ईएमआई, टीवी का रिचार्ज और बाकी के खर्चे का हिसाब चुकता करने की सोचता है। वो ये बात अपने दोस्त से साझा करता है, वो दोस्त उनके ही ऑफिस में काम करने वाली प्रभा से शेयर करता है और प्रभा देव को ब्लैकमेल करने लगती है। देव प्रभा को पैसे देने के लिए फिर रंजीत को ब्लैकमेल करता है अब रंजीत एनोनिमस मेल आईडी से देव की पत्नि रीना को ब्लैकमेल करता है। इस तरह वही पैसा ब्लैकमेल ब्लैकमेल खेल में इधर से उधर घूमता रहता है। इरफ़ान का कॉमिक सेंस बहुत ज़बरदस्त है। बॉक्सर पहनकर सर पर एक रिसाइकल्ड कैरी बैग में आंखों के पास छेद करके इरफ़ान प्रभा के मरने पर उसके घर से जिस तरह भागता है और लोग उसके पीछे पड़ते हैं वो सीन फुल कॉमेडी सीन है पर त्रासदीपूर्ण भी क्यूंकि अपनी पत्नि और उसके बॉयफ्रेंड को सबक सिखाने का जो तरीक़ा देव ने अख़्तियार किया था वो नित नए जोखिमों से भरा था। देव को लगा था कि वो रीना के बॉयफ्रेंड को ब्लैकमेल करके दोनों को सबक भी सिखा देगा और उस पैसे से उसका कर्ज़ा भी उतर जाएगा। पर जैसा सोचो सब कुछ वैसा कहां होता है। फ़िल्म सिचुएशनल कॉमेडी के ज़रिए कई दिल को कचोटने वाले एहसास करा जाती है। 
दिव्या दत्ता का रोल थोड़ा ही है पर उनका अभिनय लाजवाब है, अरुणोदय के अभिनय को निखरते हुए देखना एक अच्छा अनुभव रहा, ओमी वैद्य को देखकर आपको थ्री इडियट्स में उनके अभिनय की याद आ जाएगी। इरफ़ान तो अपने अभिनय से सबको चकित और मौन कर देते हैं। फ़िल्म का टाइटल ट्रैक स्टोरी को सपोर्ट करता है। अच्छी फ़िल्म है, देख सकते हैं।

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