फ़िल्म #Yehsaalizindagi की समीक्षा (यादों में इरफ़ान सीरीज...15)
आज (19/05/2020) यादों में इरफ़ान सीरीज के तहत 2011 में रिलीज हुई इरफ़ान, चित्रांगदा, अरुणोदय सिंह और अदिति राव हैदरी अभिनीत एवं सुधीर मिश्रा द्वारा निर्देशित #Yehsaalizindagi फ़िल्म देखी। फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर ठीक ठाक चली। ये फ़िल्म उस आशिक़ अरुण (इरफ़ान खान) की कहानी है जो ये जानता है कि प्रीति (चित्रांगदा) किसी और के इश्क़ में है फिर भी उससे दूर नहीं जा पाता। प्रीति के इश्क़ में गिरफ्तार अरुण उसकी वजह से बड़ी मुसीबत में फंस जाता है, ज़िन्दगी और मौत के बीच खड़ा होता है, अपना करियर और प्रतिष्ठा सब दांव पर लगा देता है, मेहता,होम मिनिस्टर और गैंगस्टर सबसे दुश्मनी मोल लेता है सिर्फ उस लड़की की खातिर जो उससे मोहब्बत भी नहीं करती और जो सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रही है अपने आशिक को बचाने के लिए। पर इसी क्रम में प्रीति को एहसास होता है उसके लिए अरुण की सच्ची मोहब्बत का और टूटता है भ्रम श्याम को लेकर जिसे गैंगस्टर्स से बचाने के लिए वो अपनी और अरुण की ज़िन्दगी दांव पर लगा देती है और श्याम उसे वहां छोड़ अकेला ही फरार हो जाता है पर पकड़ा जाता है। कई बार हम भ्रमवश किसी और को अपना माने बैठे रहते हैं और उसके प्रभाव की पट्टी हमारी आंखों पर इस कदर पड़ी होती है की उसके आगे कुछ और दिखाती और सुनाई ही नहीं देता। उसके खिलाफ़ बोले गए एक भी अल्फ़ाज़ बर्दाश्त नहीं होते और उसकी खातिर हम कई बार अपनों से भी दूर हो जाते हैं और जब तक होश में आते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और ज़िन्दगी सब कुछ सुधारने और खुद को संभालने का दूसरा चांस भी नहीं देती पर ये फ़िल्म थी इसलिए प्रीति को अरुण की सच्ची मोहब्बत का एहसास हो जाता है अंततः वो अरुण के पास आ जाती है।
फ़िल्म में एक और कहानी पैरलल में चलती रहती है गैंगस्टर्स की कहानी जिसमें पहले तो मिनिस्टर वर्मा बड़े (यशपाल शर्मा) को शह देते है खुलेआम गुंडागर्दी करने के लिए पर जब होम मिनिस्टर बन जाते हैं और अपनी इमेज के लिए बड़े खतरा जान पड़ता है तो उसे लॉकअप में बंद करवाकर ढेरों प्रताड़ना दिलवाते हैं। लॉकअप में ही कुलदीप (अरुणोदय सिंह ) भी बंद होता है जो बड़े के लिए काम करता है और उसकी रिहाई होने वाली होती है। बड़े कुलदीप से उसे जेल से बाहर निकालने के लिए कहता है। कुलदीप बड़े को होने मिनिस्टर वर्मा से जेल से बाहर निकलवाने के लिए उसके होने वाले दामाद श्याम को अगवा कर लेता है और श्याम के साथ ही प्रीति भी होती है। अब मिनिस्टर को ये पता चलता है कि उसका होने वाला दामाद उसकी बेटी अंजलि से प्रेम करने के बजाए किसी और लड़की के चक्कर में है तो वो उसे गैंगस्टर्स से छुड़वाने के लिए इनकार कर देता है पर तभी अरुण (इरफ़ान खान) जो पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट होता है मिनिस्टर के बेटे के अकाउंट में दो नंबर का पैसा ट्रांसफर कर और उसके सारे गैर कानूनी धंधे की पोल खोलने की धमकी देकर मिनिस्टर को प्रीति की मदद करने के लिए बोलता है और खुद भी प्रीति के कहने पर उसकी मदद के लिए अपनी जान जोखिम में डाल कर उसके पास पहुंचता है ये सब जानते हुए भी कि प्रीति किसी और को चाहती है।
एक आशिक़ के किरदार को इरफ़ान ने बख़ूबी निभाया है। चित्रांगदा, अरुणोदय सिंह की ऐक्टिंग भी इस फ़िल्म में आपको अच्छी लगेगी। बड़े के किरदार में यशपाल शर्मा अपने अभिनय की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। फ़िल्म का टाइटल ट्रैक यूथ को आकर्षित करने वाला है। फ़िल्म का प्लॉट दिलचस्प है। इरफ़ान के क़िस्सा गो की तरह बीच बीच में अपने दिल की बात कहने का अंदाज़ अच्छा लगता है।
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